Schwabe Hindi Medicine List श्वाबे होम्योपैथिक दवाई सूची 

Schwabe Hindi Medicine List- श्वाबे विश्व की सबसे बड़ी होम्योपैथिक दवाओं की जर्मन कंपनी। श्वाबे की सुरक्षित और साइड इफैक्ट मुक्त होम्योपैथिक दवाईयाँ अब ऑनलाइन पाईये

 

एल्फा रेंज - रोज़मर्रा की तकलीफों के लिए श्वाबे की होम्योपैथिक दवाईयाँ

एल्फा -एसिड अम्लपित (ऐसिडिटी )
एल्फा -सीसी पुरानी खांसी
एल्फा -सीएफ सर्दी बुखार
एल्फा -डीपी पाचन क्रिया की समस्या
एल्फा-एचए सरदर्द
एल्फा-एमप मांसपेशियों में दर्द
एल्फा-एमएस सफर के समय मतली /उल्टी
एल्फा-एनसी बंद नाक
एल्फा-आरसी छाती की जकड़न (शवसनसंबंधित )
एल्फा-एसएच साइनस के कारण सीरदर्द
एल्फा-टोन्स टॉन्सलाइटिस
एल्फा-टीएस मानसिक तनाव व दबाव
एल्फा-डब्ल्यूडी रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी
एल्फा-कॉफ कफ सिरप (खांसी )
एल्फा-लीव लीवर की समस्या

किंडी रेंज-बच्चों के लिए श्वाबे की होम्योपैथिक दवाईयाँ

एनिकिंड रक्त्त की कमी
कैल्सिओकिंड कैल्शियम संतुलन व प्रतिरक्षा शक्ति
केमोडेन्ट दांत निकलने की समस्या
कोलिकिंड पेट दर्द
इनुकिंड निंद्रा में मूत्र त्याग
किंडिजेस्ट अनिद्रा
ल्यूफाकिंड एलर्जी
म्यूनोस्टिम प्रतिरक्षा क्षमता बढ़ता है
निसीकिंड सर्दी जुकाम
रीनिकिंड राइनिटिस (नाक में सूजन )
टुसीकिंड कफ़ (खांसी )

पेन्टार्कन रेंज - जटिल तकलीफों के लिए श्वाबे की होम्योपैथिक दवाईयाँ

एकोनिटम पेन्टार्कन सामान्य जुकाम
एस्क्युलस पेन्टार्कन बवासीर (पाइल्स )
ऐग्नस कैस्टस पेन्टार्कन अनियमित माहवारी
बरर्बेरिस पेन्टार्कन गठिया व गुर्द की पथरी
कारडूस मेरियानस पेन्टार्कन लीवर का पुराना रोग
क्रेटेगस पेन्टार्कन हृदय की दुर्बलता
ग्रेफाइट्स पेन्टार्कन त्वचा रोग/सुखी खुजली
ग्रिन्डेलिय पेन्टार्कन ब्रोंकियल अस्थमा ,एलर्जिक ब्रोन्काइटिस
हेपार सलफ्युरिस पेन्टार्कन कील -मुहांसे
मैग्नेशीयम फॉस्फोरिकम पेन्टार्कन दर्दभरा मासिक
मिलिफोलियम पेन्टार्कन अत्यधिक मासिक
सबल पेन्टार्कन प्रोस्टेट बढ़ना / मूत्र नलिका सक्रमण
सेनेगा पेन्टार्कन पुराना ब्रंकाइटिस
सिलिसिया पेन्टार्कन खिंचाव के चिन्ह (गर्भावस्था , मोटापा )
विस्क्म पेन्टार्कन उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर )

टोपि रेंज - त्वचा रोगों व अन्य तकलीफों के लिए श्वाबे की होम्योपैथिक क्रीम /जैल

टोपि एस्क्युलस अंदरूनी एवं बाहरी बवासीर
टोपी अर्निका मांसपेशियों में दर्द
टोपी आजाडीरक्ता त्वचा रोग एवं स्वस्थ त्वचा
टोपी बरर्बेरिस मुहांसों व त्वचा रोग
टोपि केथेरिस जलने पर
टोपि कार्डियोस्पर्मम सोरियालिस
टोपि ग्रेफाइटस सूखी खुजली
टोपि हील एंटिसोप्टिक / जख्मों का उपचार
टोपि एमपी वात जन्य व साइटिका दर्द
टोपि सल्फर सुक्ष्मजीवी नाशक , फंगसरोधी
टोपि थूजा मस्सो के लिए

1 x टैबलेट्स रेंज - जीवन शैली से संबंधित श्वाबे की होम्योपैथिक दवाइयां 

आजाडीरक्ता इंडिका 1x त्वचा शोधक
बकोपा मोनियेरी 1x ब्रेन टॉनिक (एकाग्रता )
डेफने इंडिका 1x तम्बाकू की लत छुडाने के लिए
इचनीसीयाआंगस्टीफोलिया 1x प्रतिरक्षण प्रणाली के लिए
जिनसेंग 1x तनाव नाशक
ग्लाइसीर्रिजा ग्लाब्र 1x तंग करने वाली खांसी
होलेरहिना एंटीडिसेन्ट्रीका 1x दस्त एवं पोचिश
हाइपेरिकमपरफोरेटम 1x नसों सम्बंधित समस्याओ के लिए
क्योरकस रॉबर 1x शराब की लत छुडाने के लिए
रॉवोलफिया सर्पेन्टीना 1x उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर )
सिंजीजियम जम्बोलेनम 1x ब्लड़ शुगर

अन्य विशेष रेंज - स्वस्थ जीवन के लिए श्वाबे की होम्योपैथिक दवाइयां

अल्फ़ाल्फा टॉनिक - फेमिली स्वास्थ टॉनिक -सभी के लिए
अल्फ़ाल्फा टॉनिक - चिल्ड्रन बच्चों का स्वास्थ्य टॉनिक
अल्फ़ाल्फा टॉनिक -डॉयबीटिक शुगर फ्री स्वास्थ्य टॉनिक
एन्जियोटोन लो ब्लडप्रेशर
डामियाप्लांट पुरुष नपुसंकता
इसेंशिया औरिया (गोल्ड ड्रॉप्स) टॉनिक (ह्रदय)
इसेंशिया इन्फेंशिया बच्चों के विकास के लिए टॉनिक
क्लिमेकटोलान रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज )
फाइटोलक्का बेरी गोलियां मोटापा
थायरायडिनम 3x हाइपोथायरायडिज्म
टुसिसटिन कफ़ (खांसी )

Homeopathy in Hindi disease list शारीरिक रोगों के होमियोपैथी इलाज

Homeopathy in Hindi, Homeopathic medicines in Hindi

 

होमियोपैथी इन निम्न लिखित रोगों के इलाज के लिए काफी मशहूर और लाभदायक है 







वजन घटाना, वजन बढ़ाना, मानसिक-शारीरिक थकान, अनुवांशिक गड़बड़ी, शरीर में रक्त की शुद्धि
मूत्रपिंड, मूत्रत्याग के समय ज्वलनशील पीड़ा, सभी तरह के संक्रमण का ईलाज किया जाता है। 

ह्रदय की तालहीन धड़कन और ह्रदय-वाहिनियों की सिकडन और रूकावट के लिए भी प्रसिद्ध है।
 

Health Tips in Hindi स्वास्थय नुस्खे


स्वास्थय नुस्खे  

दोपहर या रात को खाना खाने के एक घंटा पहले छाँस, पानी, सुप,या जूस जो भी पीना
चाहते है तो पी सकते है। अथवा खाना खाने के दो घंटे के बाद पी सकते है । लेकीन खानेके 
साथ-साथ कुछ भी पीना नहीं ।
 
 
रात का सोते समय मुँह साफ करके सोना ।
 
 
सुबह उठने के बाद, मुँह साफ करने से पहले,
रात का बचा हुआ मटके का पानी दो से तीन ग्लास पीना शुरू करके धीरे-धीरे ६ ग्लास तक 

बढाते जाईये।
 
 
शुरूआत में पानी पीने के बाद पंधरा मिनट तेज

चलना शुरू करना। धीरे-धीरे एक घंटे तक,समय बढ़ाते जाईये।
 
 
सुबह पानी पीने के बाद एक घंटे तक चाय पीना नही। चाय के एक घंटे बाद नास्ता कर सकते
है। 
 

याद रखना खाना खुब चबा-चबाकर खाना।  
 
 

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मूल-तत्व : कैरियोफाइलस एरोमेटिंकम D3, कोक्साकी D30, D60, D200,
डिफटैरिनम D30, D60, D200, एप्सटीन बार D30, D60, D200,
यूफ्रेशिया D5, हर्पीज सिम्पलेक्स D30, D60, D200, हर्पीज जोस्टर
D30, D60, D200, इपलुएंसिनम D30, D60, D200,
मो नां नुक्लिओसिस D30, D60, D200, मी रबिलिनम
D30,D60,D200, पोलियो मायलिटिस D30, D60, D200, वि-ग्रिपे
D30, D60, D200 ।


लक्षण: कोई भी विषाणु सम्बन्धी रोग, जैसे खसरा, डेंगू मोनोन्यूक्लिओसिस (mononucleosis), हर्पीज, फलू आदि रोगों में ।
 


क्रिया विधि: कोक्साकीं (coxsackie), डिफटैरिनम, एप्सटीन बार (epstein)
हर्पीज सिम्प्लेक्स , हर्पीज जोस्टर , इंपलुएसिनम, मोनोन्यूक्लिओसिस , 

मोरबिलिनम, पोलियोमायलिटिस , वीं-ग्रिपे :
उपर्युक्त मूल-तत्व अत्यधिक घुलनशील होते हैं, जिससे कोई
भी विषाणु उत्पाद में नहीं रह जाते, परन्तु विषाणुओं की शक्ति
आक्रामकों के विरुद्ध रक्षा करने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता
को बढाती है । या विषाणुओं के विरुद्ध प्राकृतिक सुरक्षा को
रक्षात्मक ढंग से (बिना कुप्रभाव के ) बढाने के लिए एक सुरक्षित
टीकाकरण या रोगक्षमीकरण फॉर्मूला (एम्यूनाइजेशन) बन जाता है ।
 

कैरिंयोपइपंइलस एरोमेटिक्स : प्रकृतिक वायरस नाशक (anti viral)


यूफ्रेशिया : रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाने वाली औषधि (immuno stimulant)



खुराक की मात्रा : प्राकृतिक टीकाकरण के फार्मूले के रूप में, यह विषाणु रोधी
फार्मूला बच्चे के लिए सुरक्षित है, तथा तीन दिन तक दिन में
तीन बार 3 बूंदे देना चाहिए, दो वर्ष की आयु तक प्रत्येक माह ।
यह फार्मूला नाभि में लगा कर स्वयं बच्चे के हाथ से मलवा
सकते हैं । बडे बच्चों या वयस्कों के लिए प्रयोग करने के लिए प्रतिदिन 3 बार 10 बूंदे वायरल रोग दूर करने कं लिए अथवा
दिन में एक बार 10 बूंदे रोग-आधिक के रूप में प्रयोग करें ।

 

टिप्पणी: इंफ्लुएंजा में R6, बुखार तो लिए R1 हैं, चिकन पॉक्स में R68,
हर्पीज जोस्टर (Herpes zoster) में R68, R30, खसरे में R62,
कनफेड़ों (mumps) में R1, R26, खाँसी में R8, R9 ।
रोगी को मांसाहार से दूर रखें और विटामिन-सी का प्रयोग और
जरूरी फैटी एसिड (fatty acids) का प्रयोग बढाये ।
संक्रमण से लेकर रोग-लक्षण प्रकट होने तक की अवधि
फंगल-संक्रमाग में R82
रोगाणु संक्रमण में R87
तनाव की स्थिति होने पर वीटा-की फोर्ट ।

 
Anti Viral and flu poster R88 drops 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
रोग कं कारणों का इतिहास : विषाणुओं का संपर्क होने पर
अंतः संचरण आरंभ होता है, जिसके उपरांत रोग होता है।

संक्रमण से लेकर रोग-लक्षण प्रकट होने तक की अवधि के "
दौरान रोग-प्रतिरोधक क्षमता की स्थिति वायरल रोग के जीवन
की तीव्रता तथा अवधि निर्धारित करती है । वायरस से संपर्क
बचाना महत्वपूर्ण होता है, किन्तु इससे भी महत्वपूर्ण होता है रोग
प्रतिरोधक क्षमता को सशक्त बनाना, जो विषाणु को बिना
कोशिकाओं में रोग पहुंचाये कार्य करने देती है । वायरस RNA
या DNA के आधुनिक स्वरूप हैं जो जैविक शरीर से संदेश ले
जाते हैं । प्रकृति में विषाणुओं को जीवाणुओं तथा कवकों के द्वारा
नियंत्रित ररवा जाता है । सूक्ष्म जीवों का यह त्रिकोण एक
आवश्यक संतुलन प्रदान करता है, जिससे इनमें से कोई भी
अधिक प्रभावशाली न बन सके ।

अतिरिक्त एंटीबायोटिक्स इस संतुलन को बिगाड़ देते हैं तथा
वायरस तथा फंगल में व द्धि हो जाती है ।

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