डॉ० रेकवेग आर ५९ (Reckeweg R59 drops) मोटापा रोधक; मोटापा घटाने में प्रभावी << आन लाइन आर्डर करें!!
मूल-तत्व: कैल्शियम कार्ब D 12, वेसिकुलोस D 2 , ग्रंफाइट्रसD 1 2,
नेट्रियम सल्पयूरिक D2, क्रोटोन टिगलियम D 4, स्पाँजिया D 3.
लक्षण: मोटापा (आवश्यकता से अधिक चर्बी , ग्रंथियों से होने वाले स्राव
की त्रुटिपूरर्ग क्रिया के कारण वजन बढ़ने की प्रव ति (obesity due to harmonal imbalance) ।
प्रारंभिक गलगण्ड (incipient goitre) का रोकने में भी प्रयोग किया
जा सकता है ।
क्रिया विधि: लाभकारी प्रभाव जैसा कि फ्यूकस वेसिकुंलोसस तथा स्पाँजिया
के आयोडीन जैविक मिश्रण से प्राप्त होता है । यह थायरॉयड
ग्रंथियों की क्रिया को अत्यधिक उत्तेजित करता है तथा गलगण्ड
के निर्माण के विरूद्ध कार्य करता है । हम इस चिकित्सकीय
संमूल-तत्व में संरचनात्मक उद्दीपक, ग्रेफाइट्रस तथा कैंल्क०
कार्ब० जैसे होम्योपैथिक चूर्ण के शा८--शा८ नेट्रियम राल्फ,
(यक त का क्रियात्मक उद्दीपक) तथा क्रोटोन टिगलियम, (आँतों
के क्रियात्मक उद्दीपक) को जोडते हैं ।
पूर्ण रूप से, प्रस्तुत दवा की क्रिया का प्रस्तुतिकरण ऊतकों के
उपापचय तथा दहन कार्य पर उद्दीपनकारी प्रभाव पड़ने वाला
होता है तथा साथ ही साथ ऊतकों में व्याप्त अतिरिक्त द्रव्य की
मात्रा का निकलने तथा अवटु ग्रंथियों (thyroid glands) के कार्य
पर नियमनकारी प्रभाव कस्ता है।
खुराक की माता: प्रतिदिन 2-3 बार, तीव्र स्थितियों में 4-5 बार, थ्रोड़े पानी में
10-15 बूंदे । प्रारंभ में (5-6 दिन) जल्दी-जल्दी तथा प्यादा
खुराक लेनी चाहिए । तदुपरांत, प्रतिदिन 2-3 बार 8- 1 0 बूंदे लें ।
बच्चे में, उम्र के अनुसार खुराक कम कर लें (5-8-10 बूंदे) ।
टिप्पणी : पूरक दवायें :
R10, रजोनिव ति काल में, साथ ही R19 या R 20.
प्रयोग द्वारा गुर्दों के क्रियात्मक दोषों के कारण होने वाले जलीय
शोथ गुर्दे का प्रदाह तथा गुर्दों की रुकावट में कभी-कभी अच्छे
परिणाम प्राप्त होते हैं. सर्वाधिक महत्वपूर्ण होगा यदि तरल
पदार्थों का अवशोषण कम से कम किया जाए ।
खुराक की मात्रा : प्रतिदिन तीन वार भोजन के पूर्व या बाद, 1 5-20 बूंदे । तीक्षण
स्थितियों में, प्रतिदिन 6 बार थोड़े पानी में 20-30 बूंदे लें।
सुधार के बाद, खुराक कम करके प्रतिदिन 2-3 वार 10-15 बूंदे लें। << आज ही आन लाइन आर्डर करें!!
टिप्पणी: संपूरक दवायें :
R2 . सभी स्थितियों में ।
R3, हृदय के माँसपेशी सम्बन्धी व्यवधानों तय कुसंचरण में ।
R12 , उच्व रक्तचाप तथा अंगों के कड़ेपन में ।
R19 अथवा द्वि 20, ग्रंथि सम्बन्धी व्यवधानों में, विशेषकर रजोनिव ति
के समय ।
R59, मोटापे में जिसके कारण, हृदय की माँस पेशियों पर
अत्यधिक दबाब पड़ता है ।
R37, पेट का अफारा, साथ में पेट तथा हृदय की लक्षण
सम्बन्धी जटिलता ।
R40 . मधुमेह में ।
गुर्दों में पानी भर जाने पर : R64 देखें ।
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